नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने औद्योगिक संबंध संहिता-2020 विधेयक लोकसभा में पेश किया है। इस विधयक के अनुसार किसी भी कंपनी को अपने कर्मचारी को निकालने का अधिकार मिल जाएगा। ये विधयक नए श्रम कानून के अंतर्गत आएगा और इस पर जल्द सहमति की मोहर भी लग सकती है।
इस नए श्रम सुधार बिल के पास हो जाने के बाद कानूनन चार में से 3 कंपनियों को ये अधिकार मिल जाएगा कि वो कभी भी अपनी कंपनी से किसी भी कर्मचारी को एक मिनट में निकाल सकती है।
इस विधयक को पेश करते हुए गंगवार ने कहा कि इस बिल में तीन नए श्रम सुधार कानून औद्योगिक संबंध संहिता-2020, व्या वसायिक सुरक्षा, स्वाधस्य् ह एवं कार्य परिस्थिति संहिता-2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020 शामिल हैं। फ़िलहाल इन्हे संसद की स्थाई समिति के पास भेजा गया है और ये विधयक को समिति का 74% समर्थन मिल गया है।
लेकिन इस कानून के आने पर कर्मचारियों के लिए बड़ी मुसीबत हो जाएगी। जानकारों का कहना है कि इस नए कानून के अनुसार कोई भी कंपनी, फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को सजा देने, निकालने, प्रमोशन में पक्षपात जैसे नियम पूरी तरह से कंपनी के हाथों में आ जाएगें जिससे कर्मचारियों का शोषण और न्याय बढ़ेगा। जबकि कंपनियां अपनी मन-मर्जी करने के लिए आजाद हो जाएंगी।
बता दें, कि यूएस कंपनियों में ये कानून है कि 100 से कम वाली कम्पनियों और फैक्ट्री आदि इकाइयों में किसी भी कर्मचारी को कभी भी निकाला जा सकता है। इसी की तर्ज पर मोदी सरकार ने भी इस नियम को लागू करने के लिए श्रम कानून में संशोधन किया है।
अब जब इस नए कानून को पेश किया गया है तो ऐसा मान के चलना चाहिए कि देश में 100 से कम कर्मचारियों वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान या संस्थान किसी भी सरकारी मंजूरी के कर्मचारियों को रख और हटा सकने में समक्ष हो जाएंगे।