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सूचना मिलने पर फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक घटनास्थल पर पहुंचे और हाथी के शव के पास दस थर्मोसेंसर कैमरे लगवाए जिससे यह अध्ययन किया जा सके कि हाथी की मौत किन कारणों से हुई है। इस दौरान वन विभाग की टीम लगातार शव पर नजर बनाए हुए थी।
उच्चाधिकारियों से सूचना मिलने के बाद कल तीन डॉक्टरों का पैनल डॉक्टर मुकेश गुप्ता उपमुख्य पशु चिकित्साधिकारी धौरहरा, डॉक्टर अमरनाथ कटिहार पशु चिकित्साधिकारी सुजौली, डॉक्टर विनोद भार्गव पशु चिकित्साधिकारी मिहींपुरवा प्रभागीय वनाधिकारी यशवंत के नेतृत्व में गेरुआ नदी पर पहुंचे और हाथी का पोस्टमार्टम किया। लगभग 5 घंटे पोस्टमार्टम चला।
डॉक्टर अमरनाथ कटिहार पशु चिकित्साधिकारी सुजौली ने बताया कि हाथी की प्रवृत्ति होती है कि वह ज्यादा देर तक बैठ नहीं सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि बाघों के झुंड ने हाथी को दौड़ाया होगा तो हाथी भागने के चक्कर मे बेंत के झाड़ियों में जा फंसा और वहीं गिर गया जिससे दम घुटने की वजह से उसकी मौत हो गई। मौत के बाद बाघों ने उसका शिकार किया है।
सूचना मिलने पर फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक घटनास्थल पर पहुंचे और हाथी के शव के पास दस थर्मोसेंसर कैमरे लगवाए जिससे यह अध्ययन किया जा सके कि हाथी की मौत किन कारणों से हुई है। इस दौरान वन विभाग की टीम लगातार शव पर नजर बनाए हुए थी।
उच्चाधिकारियों से सूचना मिलने के बाद कल तीन डॉक्टरों का पैनल डॉक्टर मुकेश गुप्ता उपमुख्य पशु चिकित्साधिकारी धौरहरा, डॉक्टर अमरनाथ कटिहार पशु चिकित्साधिकारी सुजौली, डॉक्टर विनोद भार्गव पशु चिकित्साधिकारी मिहींपुरवा प्रभागीय वनाधिकारी यशवंत के नेतृत्व में गेरुआ नदी पर पहुंचे और हाथी का पोस्टमार्टम किया। लगभग 5 घंटे पोस्टमार्टम चला।
डॉक्टर अमरनाथ कटिहार पशु चिकित्साधिकारी सुजौली ने बताया कि हाथी की प्रवृत्ति होती है कि वह ज्यादा देर तक बैठ नहीं सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि बाघों के झुंड ने हाथी को दौड़ाया होगा तो हाथी भागने के चक्कर मे बेंत के झाड़ियों में जा फंसा और वहीं गिर गया जिससे दम घुटने की वजह से उसकी मौत हो गई। मौत के बाद बाघों ने उसका शिकार किया है।