चंदौली में लहलहाती काला धान की फसल।
– फोटो : amar ujala
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2011 बैच के आईएएस अधिकारी नवनीत सिंह चहल मार्च, 2018 में चंदौली के डीएम ( पिछले महीने मथुरा के डीएम बने) बनाए गए थे। हरियाणा के मूल निवासी चहल इंजीनियरिंग में स्नातक और वित्तीय प्रबंधन में मास्टर डिग्री धारक हैं। पूर्वांचल के चंदौली प्रदेश के आठ पिछड़े आकांक्षी जिलों में शामिल है। चहल ने पहुंचते ही चन्दौली की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कृषि व किसानों को केंद्र में रखने की रणनीति बनाई और परंपरागत सामान्य धान की जगह काला धान के उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित करने की पहल की।
पायलट आधार पर 30 किसानों से 10 हेक्टेयर में काला धान की खेती शुरू कराई गई थी। आज इसका विस्तार 1200 किसानों और 500 हेक्टेयर में हो चुका है। काला धान उत्पादन करने के लिए बनवाई गई चंदौली काला चावल कृषक समिति को अब कृषक उत्पादक संगठन में बदलने की कार्यवाही हो रही है। इसे ब्रांड के रूप में पहचान दिलाने के लिए कई राष्ट्रीय व वैश्विक संस्थाओं से प्रमाणपत्र प्राप्त किया गया है।
पूरे तरीके से जैविक खाद से तैयार काला धान को रसायनमुक्त होने और वैश्विक स्तर पर बिक्री की गुणवत्ता का करार दिया गया है। एक हेक्टेयर में किसान सामान्य धान से जहां 54,530 का फायदा पाता था काला धान से उसे 2,55,500 का लाभ प्राप्त हो रहा है।
यह भी महत्वपूर्ण
– जैविक खाद की आपूर्ति राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत बने वर्मी कंपोस्ट पिट व मनरेगा से बने नाडेप कंपोस्ट पिट से किया गया।
– चंदौली में उत्पादित काला चावल को कलेक्टिव मार्क के लिए आवेदन किया गया। इसका वित्तपोषण नाबार्ड ने किया।
– काले चावल में मधुमेह रोधी व कैंसर रोधी क्षमता होती है।
गुणवत्ता की कसौटी पर खरा
काला चावल के नमूनों को सेंटर आफ फूड टेक्नोलॉजी प्रयागराज, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ राइस रिसर्च हैदराबाद, इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट वाराणसी, एसजीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजा गया। इन सभी प्रयोगशाला में प्रमाणित किया कि इसमें किसी भी रसायन के अवशेष नहीं है तथा डाइटरी फाइबर, जिंक, विटामिन, आयरन व एंटी ऑक्सीडेंट (एंथ्रोसाइनिन) प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। काले चावल की गुणवत्ता के लिए एफएसएएआई से लाइसेंस प्राप्त किया गया।
बीज (प्रति हेक्टेयर)– 30 किग्रा. — 15 किग्रा
लागत (प्रति हेक्टेयर)– 5800 रु.– 4200 रु.
उत्पादकता (प्रति हेक्टेयर)– 62 कुंतल– 35 कुंतल
बाजार मूल्य (प्रति कुंतल)– 1815 रु.– 8500 रु.
प्राप्त मूल्य(प्रति हेक्टेयर)– 112530 रु– 297500 रु.
शुद्ध लाभ — 54530 रु. — 255500 रु.
फसल उत्पादन– 150-155 दिन– 125-135 दिन
फुटकर मूल्य– 30-50 रु. किग्रा– 300 रु/किग्रा
चंदौली काला चावल कृषक समिति के अध्यक्ष आईएएस शशि कांत राय का कहना है कि काला धान का उत्पादन किसानों का भाग्य बदलने वाला है। 30 प्रगतिशील किसानों के साथ शुरू हुई यात्रा 1200 के समूह तक पहुंच गई है। पिछले वर्ष एक निर्यातक के जरिए काला धान का निर्यात ऑस्ट्रेलिया व कतर में किया गया था। इस बार कई निर्यातकों से बात हो रही है। करीब 2000 कुन्तल काला धान निर्यात की योजना है।
2011 बैच के आईएएस अधिकारी नवनीत सिंह चहल मार्च, 2018 में चंदौली के डीएम ( पिछले महीने मथुरा के डीएम बने) बनाए गए थे। हरियाणा के मूल निवासी चहल इंजीनियरिंग में स्नातक और वित्तीय प्रबंधन में मास्टर डिग्री धारक हैं। पूर्वांचल के चंदौली प्रदेश के आठ पिछड़े आकांक्षी जिलों में शामिल है। चहल ने पहुंचते ही चन्दौली की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कृषि व किसानों को केंद्र में रखने की रणनीति बनाई और परंपरागत सामान्य धान की जगह काला धान के उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित करने की पहल की।
पायलट आधार पर 30 किसानों से 10 हेक्टेयर में काला धान की खेती शुरू कराई गई थी। आज इसका विस्तार 1200 किसानों और 500 हेक्टेयर में हो चुका है। काला धान उत्पादन करने के लिए बनवाई गई चंदौली काला चावल कृषक समिति को अब कृषक उत्पादक संगठन में बदलने की कार्यवाही हो रही है। इसे ब्रांड के रूप में पहचान दिलाने के लिए कई राष्ट्रीय व वैश्विक संस्थाओं से प्रमाणपत्र प्राप्त किया गया है।
पूरे तरीके से जैविक खाद से तैयार काला धान को रसायनमुक्त होने और वैश्विक स्तर पर बिक्री की गुणवत्ता का करार दिया गया है। एक हेक्टेयर में किसान सामान्य धान से जहां 54,530 का फायदा पाता था काला धान से उसे 2,55,500 का लाभ प्राप्त हो रहा है।
इस तरह किसानों ने बढ़ाया उत्पादन और आय

काले धान की फसल।
– फोटो : amar ujala
यह भी महत्वपूर्ण
– जैविक खाद की आपूर्ति राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत बने वर्मी कंपोस्ट पिट व मनरेगा से बने नाडेप कंपोस्ट पिट से किया गया।
– चंदौली में उत्पादित काला चावल को कलेक्टिव मार्क के लिए आवेदन किया गया। इसका वित्तपोषण नाबार्ड ने किया।
– काले चावल में मधुमेह रोधी व कैंसर रोधी क्षमता होती है।
गुणवत्ता की कसौटी पर खरा
काला चावल के नमूनों को सेंटर आफ फूड टेक्नोलॉजी प्रयागराज, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ राइस रिसर्च हैदराबाद, इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट वाराणसी, एसजीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजा गया। इन सभी प्रयोगशाला में प्रमाणित किया कि इसमें किसी भी रसायन के अवशेष नहीं है तथा डाइटरी फाइबर, जिंक, विटामिन, आयरन व एंटी ऑक्सीडेंट (एंथ्रोसाइनिन) प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। काले चावल की गुणवत्ता के लिए एफएसएएआई से लाइसेंस प्राप्त किया गया।
सामान्य धान से इस तरह लाभप्रद है काला धन

आईएएस नवनीत सिंह चहल।
– फोटो : amar ujala
बीज (प्रति हेक्टेयर)– 30 किग्रा. — 15 किग्रा
लागत (प्रति हेक्टेयर)– 5800 रु.– 4200 रु.
उत्पादकता (प्रति हेक्टेयर)– 62 कुंतल– 35 कुंतल
बाजार मूल्य (प्रति कुंतल)– 1815 रु.– 8500 रु.
प्राप्त मूल्य(प्रति हेक्टेयर)– 112530 रु– 297500 रु.
शुद्ध लाभ — 54530 रु. — 255500 रु.
फसल उत्पादन– 150-155 दिन– 125-135 दिन
फुटकर मूल्य– 30-50 रु. किग्रा– 300 रु/किग्रा
चंदौली काला चावल कृषक समिति के अध्यक्ष आईएएस शशि कांत राय का कहना है कि काला धान का उत्पादन किसानों का भाग्य बदलने वाला है। 30 प्रगतिशील किसानों के साथ शुरू हुई यात्रा 1200 के समूह तक पहुंच गई है। पिछले वर्ष एक निर्यातक के जरिए काला धान का निर्यात ऑस्ट्रेलिया व कतर में किया गया था। इस बार कई निर्यातकों से बात हो रही है। करीब 2000 कुन्तल काला धान निर्यात की योजना है।