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लखनऊ। गिरधारी एनकाउंटर मामले में शामिल रहे पुलिस अफसरों व कर्मियों पर फिलहाल हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होगा। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने हत्या का मुकदमा दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश पर अपने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने केस दर्ज करने की अर्जी देने वाले को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च नियत की है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने यह आदेश राज्य सरकार की पुनरीक्षण याचिका पर दिया। इसमें मुकदमा दर्ज करने संबंधी सीजेएम लखनऊ के आदेश को चुनौती दी गई है। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही की दलील थी कि अभियोजन की स्वीकृति के बगैर सरकारी कर्मियों के खिलाफ वादी की अर्जी पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश नहीं दिया जा सकता था। ऐसे में सीजेएम का आदेश कानून की मंशा के खिलाफ होने की वजह से रद्द किए जाने लायक है।
सीजेएम लखनऊ की अदालत ने आजमगढ़ के सर्वजीत सिंह की अर्जी पर 26 फरवरी को एनकाउंटर टीम में शामिल रहे डीसीपी ईस्ट संजीव सुमन, विभूतिखंड थाने के इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह व अन्य पुलिस अफसरों-कर्मियों पर हत्या का केस दर्ज करने का आदेश दिया था। सीजेएम की कोर्ट ने इस मामले में सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश इंस्पेक्टर हजरतगंज को दिया था। साथ ही एफआईआर की प्रति सात दिन में अदालत में पेश करने को कहा था।
डीसीपी व एसओ पर प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश
लखनऊ। गोहना के ज्येष्ठ उप प्रमुख अजीत सिंह की हत्या के आरोपी रहे कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी की पुलिस रिमांड के दौरान मुठभेड़ में मौत को लेकर दाखिल न्यायिक कार्रवाई में कोर्ट में झूठे तथ्य देने और पुलिस टीम के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली अर्जी को जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने डीसीपी संजीव सुमन और विभूतिखंड थानाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ डीसीपी से वरिष्ठ अधिकारी से विवेचना कराने और दोनों के खिलाफ कोर्ट में झूठा बयान देने के लिए प्रकीर्ण वाद दर्ज करने के साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी।
कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में माना कि कमिश्नर डीके ठाकुर और एसीपी प्रवीण मालिक एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम का हिस्सा नहीं थे। लिहाजा उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। वहीं कोर्ट ने माना कि संजीव सुमन और चंद्रशेखर सिंह ने एनकाउंटर को लेकर न केवल सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया बल्कि कोर्ट में झूठा शपथपत्र देकर यह गलतबयानी की है कि उन्होंने सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों का अनुपालन किया है।
इसके पहले परिवादी और गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा के वकील प्रांशु अग्रवाल ने अर्जी देकर बताया था कि आरोपियों ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नही किया है। कहा गया कि आरोपी मामले की रिपोर्ट नहीं दर्ज कर रहे हैं। वहीं रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वाली अर्जी पर थानाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने बिना कारण दर्शाए रिपोर्ट देने के लिए सीजेएम से एक सप्ताह के समय की मांग की है। दूसरी ओर सीजेएम को गाइडलाइंस के अनुसार इस एनकाउंटर की सूचना भी नही दी गई है।
इसके अलावा आरोपियों ने झूठे शपथपत्र भी दिए हैं लिहाजा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इस पर कोर्ट ने ने जहां एक ओर पुलिस अधिकारियों से उनका पक्ष जानने के लिए शपथपत्र मांगे तो वहीं सीजेएम से भी रिपोर्ट तलब की थी। इस पर डीसीपी, एसीपी और थानाध्यक्ष ने कोर्ट में हाजिर होकर शपथपत्र दिया जबकि कमिश्नर की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने कोर्ट में शपथपत्र देकर बताया था कि एनकाउंटर के बाद घायल गिरधारी को अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी मौत हो गई। कहा गया कि घटना के बाद पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई गई। दो रिपोर्ट दर्ज की गईं। 16 फरवरी को डीएम को सूचना दी गई। मानवाधिकार आयोग को समस्त तथ्यों की जानकारी दी गई। साथ ही सीजेएम को भी सूचित किया गया। कहा गया कि सुप्रीमकोर्ट कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में मामले की विवेचना हजरतगंज एसीपी को दी गई। सीजेएम को बिना देर किए रिपोर्ट की प्रति भेजी गई। घटना में प्रयुक्त हथियार सील किए गए और जांच के लिए भेजा जाना है। इन सबको जीडी में भी दर्ज किया गया।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि एनकाउंटर के मामले में टीम के वरिष्ठ अधिकारी के ऊपर के अधिकारी या सीआईडी से विवेचना कराई जाए लेकिन इस मामले की विवेचना एसीपी कर रहे हैं जो कि गिरधारी का एनकाउंटर करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे डीसीपी संजीव सुमन से निम्न स्तर के अधिकारी हैं। यह सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है जिससे लगता है कि प्रथम दृष्टया संजीव सुमन और चंद्रशेखर सिंह ने कोर्ट में झूठा शपथपत्र दिया है। कोर्ट ने दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया।
लखनऊ। गिरधारी एनकाउंटर मामले में शामिल रहे पुलिस अफसरों व कर्मियों पर फिलहाल हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होगा। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने हत्या का मुकदमा दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश पर अपने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने केस दर्ज करने की अर्जी देने वाले को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च नियत की है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने यह आदेश राज्य सरकार की पुनरीक्षण याचिका पर दिया। इसमें मुकदमा दर्ज करने संबंधी सीजेएम लखनऊ के आदेश को चुनौती दी गई है। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही की दलील थी कि अभियोजन की स्वीकृति के बगैर सरकारी कर्मियों के खिलाफ वादी की अर्जी पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश नहीं दिया जा सकता था। ऐसे में सीजेएम का आदेश कानून की मंशा के खिलाफ होने की वजह से रद्द किए जाने लायक है।
सीजेएम लखनऊ की अदालत ने आजमगढ़ के सर्वजीत सिंह की अर्जी पर 26 फरवरी को एनकाउंटर टीम में शामिल रहे डीसीपी ईस्ट संजीव सुमन, विभूतिखंड थाने के इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह व अन्य पुलिस अफसरों-कर्मियों पर हत्या का केस दर्ज करने का आदेश दिया था। सीजेएम की कोर्ट ने इस मामले में सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश इंस्पेक्टर हजरतगंज को दिया था। साथ ही एफआईआर की प्रति सात दिन में अदालत में पेश करने को कहा था।
डीसीपी व एसओ पर प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश
लखनऊ। गोहना के ज्येष्ठ उप प्रमुख अजीत सिंह की हत्या के आरोपी रहे कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी की पुलिस रिमांड के दौरान मुठभेड़ में मौत को लेकर दाखिल न्यायिक कार्रवाई में कोर्ट में झूठे तथ्य देने और पुलिस टीम के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली अर्जी को जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने डीसीपी संजीव सुमन और विभूतिखंड थानाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ डीसीपी से वरिष्ठ अधिकारी से विवेचना कराने और दोनों के खिलाफ कोर्ट में झूठा बयान देने के लिए प्रकीर्ण वाद दर्ज करने के साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी।
कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में माना कि कमिश्नर डीके ठाकुर और एसीपी प्रवीण मालिक एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम का हिस्सा नहीं थे। लिहाजा उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। वहीं कोर्ट ने माना कि संजीव सुमन और चंद्रशेखर सिंह ने एनकाउंटर को लेकर न केवल सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया बल्कि कोर्ट में झूठा शपथपत्र देकर यह गलतबयानी की है कि उन्होंने सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों का अनुपालन किया है।
इसके पहले परिवादी और गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा के वकील प्रांशु अग्रवाल ने अर्जी देकर बताया था कि आरोपियों ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नही किया है। कहा गया कि आरोपी मामले की रिपोर्ट नहीं दर्ज कर रहे हैं। वहीं रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वाली अर्जी पर थानाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने बिना कारण दर्शाए रिपोर्ट देने के लिए सीजेएम से एक सप्ताह के समय की मांग की है। दूसरी ओर सीजेएम को गाइडलाइंस के अनुसार इस एनकाउंटर की सूचना भी नही दी गई है।
इसके अलावा आरोपियों ने झूठे शपथपत्र भी दिए हैं लिहाजा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इस पर कोर्ट ने ने जहां एक ओर पुलिस अधिकारियों से उनका पक्ष जानने के लिए शपथपत्र मांगे तो वहीं सीजेएम से भी रिपोर्ट तलब की थी। इस पर डीसीपी, एसीपी और थानाध्यक्ष ने कोर्ट में हाजिर होकर शपथपत्र दिया जबकि कमिश्नर की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने कोर्ट में शपथपत्र देकर बताया था कि एनकाउंटर के बाद घायल गिरधारी को अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी मौत हो गई। कहा गया कि घटना के बाद पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई गई। दो रिपोर्ट दर्ज की गईं। 16 फरवरी को डीएम को सूचना दी गई। मानवाधिकार आयोग को समस्त तथ्यों की जानकारी दी गई। साथ ही सीजेएम को भी सूचित किया गया। कहा गया कि सुप्रीमकोर्ट कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में मामले की विवेचना हजरतगंज एसीपी को दी गई। सीजेएम को बिना देर किए रिपोर्ट की प्रति भेजी गई। घटना में प्रयुक्त हथियार सील किए गए और जांच के लिए भेजा जाना है। इन सबको जीडी में भी दर्ज किया गया।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि एनकाउंटर के मामले में टीम के वरिष्ठ अधिकारी के ऊपर के अधिकारी या सीआईडी से विवेचना कराई जाए लेकिन इस मामले की विवेचना एसीपी कर रहे हैं जो कि गिरधारी का एनकाउंटर करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे डीसीपी संजीव सुमन से निम्न स्तर के अधिकारी हैं। यह सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है जिससे लगता है कि प्रथम दृष्टया संजीव सुमन और चंद्रशेखर सिंह ने कोर्ट में झूठा शपथपत्र दिया है। कोर्ट ने दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया।