कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा।
– फोटो : amar ujala
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कांग्रेस इस आंदोलन को अपने किसान ‘कनेक्ट’ को मजबूत करने का सशक्त माध्यम मानकर चल रही है। उसके रणनीतिकारों का मानना है कि किसी विशेष जाति या संप्रदाय के लोग आज उसके पीछे नहीं खड़े हैं। किसान एक ऐसा तबका है, जिसमें सभी धर्म व जाति के लोग हैं। इसलिए किसानों के मुद्दों पर संघर्ष के मायने हैं कि सभी जाति व धर्म के लोगों के बीच पैठ बनाने का एक अच्छा अवसर।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कांग्रेस इस अभियान में जातिगत समीकरणों का ध्यान नहीं रख रही है। पश्चिमी यूपी में जाट और गुर्जर समुदाय को देखते हुए राजस्थान से सचिन पायलट और हरियाणा से दीपेंद्र हुड्डा को भी यहां लगाने का निर्णय लिया गया है। अपने-अपने समुदाय के ये नेता इस माह चलने वाले जय जवान-जय किसान अभियान का सक्रिय हिस्सा रहेंगे। इसके अलावा क्षेत्रीय जातिगत समीकरणों को देखते हुए यूपी के भी सभी प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारियां बांट दी गई हैं। किसको कब और कहां रहना है। किस तरह से लोग जुटाने हैं।
सहारनपुर मंडल में किसान आंदोलन की ज्यादा ताप महसूस की जा रही है। वहां से कांग्रेस के दो विधायक नरेश सैनी और मसूद अख्तर हैं। इमरान मसूद जैसे कद्दावर नेता भी हैं। इसलिए भीड़ के लिहाज से इस अभियान के तहत प्रियंका के पहले शो को कामयाब रखने के लिए इस जिले को चुना गया। कैमरों की नजर से देखें तो इसमें पार्टी के रणनीतिकार सफल होते हुए भी दिखे।
कांग्रेस पहले पश्चिमी यूपी के 27 जिलों में इस अभियान को चलाएगी। तहसील स्तर पर कार्यक्रम किए जाएंगे। प्रियंका स्वयं 13 फरवरी को मेरठ, 16 फरवरी को बिजनौर और 19 फरवरी को मथुरा में आयोजित कार्यक्रम में शरीक होंगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उसके बाद वह तीन दिन लगातार लखनऊ में कैंप करेंगी। फिर पूर्वी यूपी में ब्लॉक स्तर पर आयोजित जय जवान-जय किसान कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी। शीघ्र ही ये कार्यक्रम भी विधिवत प्रदेश मुख्यालय को प्राप्त हो जाएंगे। इतना जरूर बताया गया है कि फरवरी के शेष दिनों में हर तीसरे दिन प्रियंका यूपी के किसी न किसी जिले में रहेंगी।
कांग्रेस इस आंदोलन को अपने किसान ‘कनेक्ट’ को मजबूत करने का सशक्त माध्यम मानकर चल रही है। उसके रणनीतिकारों का मानना है कि किसी विशेष जाति या संप्रदाय के लोग आज उसके पीछे नहीं खड़े हैं। किसान एक ऐसा तबका है, जिसमें सभी धर्म व जाति के लोग हैं। इसलिए किसानों के मुद्दों पर संघर्ष के मायने हैं कि सभी जाति व धर्म के लोगों के बीच पैठ बनाने का एक अच्छा अवसर।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कांग्रेस इस अभियान में जातिगत समीकरणों का ध्यान नहीं रख रही है। पश्चिमी यूपी में जाट और गुर्जर समुदाय को देखते हुए राजस्थान से सचिन पायलट और हरियाणा से दीपेंद्र हुड्डा को भी यहां लगाने का निर्णय लिया गया है। अपने-अपने समुदाय के ये नेता इस माह चलने वाले जय जवान-जय किसान अभियान का सक्रिय हिस्सा रहेंगे। इसके अलावा क्षेत्रीय जातिगत समीकरणों को देखते हुए यूपी के भी सभी प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारियां बांट दी गई हैं। किसको कब और कहां रहना है। किस तरह से लोग जुटाने हैं।
इस रणनीति में सफल होते दिख रहे रणनीतिकार
सहारनपुर मंडल में किसान आंदोलन की ज्यादा ताप महसूस की जा रही है। वहां से कांग्रेस के दो विधायक नरेश सैनी और मसूद अख्तर हैं। इमरान मसूद जैसे कद्दावर नेता भी हैं। इसलिए भीड़ के लिहाज से इस अभियान के तहत प्रियंका के पहले शो को कामयाब रखने के लिए इस जिले को चुना गया। कैमरों की नजर से देखें तो इसमें पार्टी के रणनीतिकार सफल होते हुए भी दिखे।
27 जिलों में चलेगा अभियान
कांग्रेस पहले पश्चिमी यूपी के 27 जिलों में इस अभियान को चलाएगी। तहसील स्तर पर कार्यक्रम किए जाएंगे। प्रियंका स्वयं 13 फरवरी को मेरठ, 16 फरवरी को बिजनौर और 19 फरवरी को मथुरा में आयोजित कार्यक्रम में शरीक होंगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उसके बाद वह तीन दिन लगातार लखनऊ में कैंप करेंगी। फिर पूर्वी यूपी में ब्लॉक स्तर पर आयोजित जय जवान-जय किसान कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी। शीघ्र ही ये कार्यक्रम भी विधिवत प्रदेश मुख्यालय को प्राप्त हो जाएंगे। इतना जरूर बताया गया है कि फरवरी के शेष दिनों में हर तीसरे दिन प्रियंका यूपी के किसी न किसी जिले में रहेंगी।