[ad_1]
- Hindi News
- Jeevan mantra
- Dharm
- Falgun Purnima On Thursday And Friday, Must Worship Lord Vishnu Lakshmi And Lord Satyanarayan On Holi, Significance Of Falgun Purnima
32 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

हर माह पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा है। इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा दो दिन गुरुवार और शुक्रवार को है। गुरुवार को इस पूर्णिमा पर होलिका दहन और शुक्रवार को इस पूर्णिमा से संबंधित धर्म-कर्म, व्रत-उपवास किए जाएंगे। ये हिन्दी पंचांग का अंतिम दिन है। इसके बाद शनिवार से नया हिन्दी माह चैत्र शुरू हो जाएगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा की शुरुआत 17 मार्च की दोपहर करीब 1.20 बजे से हुई है और ये तिथि 18 मार्च की दोपहर करीब 1.13 बजे तक रहेगी। होलिका दहन रात में किया जाता है, इस कारण 17 मार्च की रात में होलिका दहन किया जाएगा। पूर्णिमा से संबंधित व्रत-उपवास और पूजा-पाठ सुबह करने का महत्व है। इस कारण 18 मार्च की सुबह इस पूर्णिमा से संबंधित पुण्य कर्म करना चाहिए।
पूर्णिमा पर ऐसे कर सकते है पूजा
पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की विशेष पूजा जरूर करें। ये पूजा घर के मंदिर में या किसी बड़े मंदिर में भी कर सकते हैं। पूजा में केसर मिश्रित दूध दक्षिणावर्ती शंख में भरें और विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें। अभिषेक करते समय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें। दूध से अभिषेक के बाद स्वच्छ जल चढ़ाएं। तिलक लगाएं। हार-फूल, वस्त्र, इत्र आदि अर्पित करें। भगवान को तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। अंत में भगवान से पूजा में हुई जानी-अनजानी भूलों के लिए क्षमा मांगे। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें। जो लोग पूर्णिमा पर व्रत करते हैं, उन्हें सुबह पूजा करने से पहले दिनभर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। दिनभर निराहार रहें और सूर्यास्त के बाद पूजा करें।
फाल्गुन पूर्णिमा हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं, हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करें। ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। इस दिन सुबह शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। सूर्यास्त के किसी ऐसे शिव मंदिर में दीपक जलाएं जो एकांत में हो। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
पूर्णिमा पर किसी पवित्र में नदी में स्नान करने की भी परंपरा है। नदी में स्नान करने के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। अभी गर्मी शुरू हो रही है, ऐसे में किसी प्याऊ में मटके का दान करें, जूते-चप्पल और छाते का दान करें।
[ad_2]
Source link