पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
याची का कहना था कि यह मतदाता सूची गलत बनाई गई है क्योंकि इसमें उन लोगों के नाम शामिल किए गए है जो इस गांव के निवासी नहीं हैं। जबकि गांव के कुछ लोगों के नाम इसमें छोड़ दिए गए हैं, जो पिछले चुनाव में मतदाता थे। याची का यह भी कहना था कि इसको लेकर उसने सम्बंधित प्राधिकारी को प्रत्यावेदन भी दिया जिस पर गौर नहीं किया जा रहा है।
उधर, सरकारी वकील का कहना था कि विहित प्रक्त्रिस्या पूरी करने के बाद मतदाता सूची तैयार कर गत 22 जनवरी को इसका प्रकाशन किया गया। ऐसे में ग्राम पंचायत चुनावों की मतदाता सूची के अन्तिम प्रकाशन के बाद याची कोर्ट आई है, लिहाजा वह कोई राहत पाने लायक नहीं है। यह भी कहा कि ऐसे समान मामले में कोर्ट ने गत 29 जनवरी को एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया था।
अदालत ने कहा कि याची के अधिवक्ता ऐसा कोई प्रावधान नहीं दिखा सके जिसके तहत मामले के पक्षकारों को इस स्तर पर याची के प्रत्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया जा सके। इसके मद्देनजर यह केस राहत देने के लिए उपयुक्त नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को एक अहम फैसले में ग्राम पंचायत चुनाव सम्बंधी मतदाता सूची में संशोधन के आग्रह वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह केस राहत देने के लिए उपयुक्त नहीं है। न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने यह फैसला गुड़िया देवी की पीआईएल पर सुनाया। याची ने बहराइच जिले के मेहसी तहसील की ग्राम पंचायत रामगढ़ी की मतदाता सूची को संशोधित करने के निर्देश देने की गुजारिश की थी।
याची का कहना था कि यह मतदाता सूची गलत बनाई गई है क्योंकि इसमें उन लोगों के नाम शामिल किए गए है जो इस गांव के निवासी नहीं हैं। जबकि गांव के कुछ लोगों के नाम इसमें छोड़ दिए गए हैं, जो पिछले चुनाव में मतदाता थे। याची का यह भी कहना था कि इसको लेकर उसने सम्बंधित प्राधिकारी को प्रत्यावेदन भी दिया जिस पर गौर नहीं किया जा रहा है।
उधर, सरकारी वकील का कहना था कि विहित प्रक्त्रिस्या पूरी करने के बाद मतदाता सूची तैयार कर गत 22 जनवरी को इसका प्रकाशन किया गया। ऐसे में ग्राम पंचायत चुनावों की मतदाता सूची के अन्तिम प्रकाशन के बाद याची कोर्ट आई है, लिहाजा वह कोई राहत पाने लायक नहीं है। यह भी कहा कि ऐसे समान मामले में कोर्ट ने गत 29 जनवरी को एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया था।
अदालत ने कहा कि याची के अधिवक्ता ऐसा कोई प्रावधान नहीं दिखा सके जिसके तहत मामले के पक्षकारों को इस स्तर पर याची के प्रत्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया जा सके। इसके मद्देनजर यह केस राहत देने के लिए उपयुक्त नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।