सरकार ने दरें तय करने के लिए अलग से एक जीएसटी काउंसिल का गठन किया. ये काउंसिल GST से जुड़ी सभी समस्याओं और जरूरतों को पूरा करती है. इस वक्त GST के लिए चार कैटेगरी हैं, 5%, 12%, 18% और 28%.
नई दिल्ली: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानि GST आजाद भारत के इतिहास में सबसे बड़ा इनडायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म है. GST के तीन साल पूरे हो चुके हैं. 30 जून 2017 की आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में पूरे जश्न के साथ इसे अगले दिन यानि 1 जुलाई से लागू करने का ऐलान किया गया.
GST का मकसद देश में दशकों से चली आ रही जटिल टैक्स प्रक्रिया को सरल करना और टैक्स चोरी को रोककर व्यापारियों और कारोबारियों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म देना था जिससे उनका कारोबार करना आसान हो सके. GST से पहले केंद्र सेंट्रल एक्साइज, सर्विस टैक्स लेता था और राज्य वैट वसूलते थे, लेकिन जीएसटी आने के बाद पूरे देश में ‘वन नेशन वन टैक्स’ सिस्टम लागू हो गया.
लागू होने के बाद सरकार ने कई बार इसकी टैक्स दरों में बदलाव किया, कई सर्विसेज को शामिल तो कई को अब भी बाहर रखा. सरकार ने दरें तय करने के लिए अलग से एक जीएसटी काउंसिल का गठन किया. ये काउंसिल GST से जुड़ी सभी समस्याओं और जरूरतों को पूरा करती है. इस वक्त GST के लिए चार कैटेगरी हैं, 5%, 12%, 18% और 28%.
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लेकर आधिकारिक रूप से पहली चर्चा 2006 में हुई थी. 28 फरवरी 2006 को तब के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में देश में जीएसटी लागू करने का सुझाव दिया था. उसके बाद 2007 के बजट भाषण में भी जीएसटी का जिक्र किया गया. तब इम्पावर्ड कमेटी ने इस बात की इजाजत भी दी थी कि 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी को लागू किया जाए, लेकिन राज्यों और केंद्र के बीच आपसी सहमति नहीं बन पाने की वजह से ये लागू नहीं हो सका.
2014 में सत्ता बदली और मोदी सरकार ने तीन साल बाद ही जीएसटी को पूरे देश में लागू कर दिया. हालांकि जीएसटी का परिकल्पना एक सिंगल टैक्स के रूप में की गई. लेकिन जब इसे लागू किया गया तो इसमें 4 से 5 स्लैब्स थे. जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ. सबसे कम स्लैब यानि 5 परसेंट वाले में ज्यादातर खाने पीने और जरूरी चीजें रखी गईं और 28 परसेंट वाले स्लैब में लग्जरी आइटम्स को रखा गया.
हालांकि जीएसटी लागू होने के काफी समय तक कारोबारियों को जीएसटी रिटर्न भरने में दिक्कतें आईं, उनके इनपुट क्रेडिट मिलने में समस्या रही, लेकिन सरकार ने इन समस्याओं को धीरे धीरे खत्म कर दिया है. अब सही मायन में ये एक ‘गुड एंड सिम्पल टैक्स’ बन रहा है