न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Wed, 20 Jan 2021 12:53 AM IST
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न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने यह अंतरिम आदेश अबू शहमा की याचिका पर दिया। याची ने गुण्डा ऐक्ट के तहत की गई इस कार्यवाही सम्बंधी आदेशों को चुनौती दी है। याची के अधिवक्ता दिवाकर नाथ तिवारी का कहना था कि प्रधानी की रंजिश की वजह से सांसद के कहने पर याची के खिलाफ एडीएम ने गुण्डा ऐक्ट के तहत नोटिस जारी कर 15 अक्टूबर 2020 को प्रश्नगत आदेश पारित किया, जिसकी मण्डलायुक्त ने भी 16 दिसंबर को पुष्टि कर दिया।
वकील का कहना था कि सांसद के पत्र पर की गई यह कार्यवाही कानून की मंशा के खिलाफ थी, जो रद्द किए जाने लायक है। कहा कि याची ग्राम प्रधान है लिहाजा उसे समाज के प्रति खतरनाक व्यक्ति होना नहीं कहा जा सकता है। उधर, याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी कि याची एक आदतन अपराधी है। जिसके खिलाफ दर्ज केसों पर गौर करके एडीएम ने उक्त आदेश दिया जिसे मण्डलायुक्त ने भी पुष्ट किया। ऐसे में यह आदेश दखल दिए जाने लायक नहीं हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को नियत कर तब तक उक्त दोनों प्रश्नगत आदेशों पर रोक लगा दी है। साथ ही याचिका में पक्षकार बनाए गए सांसद को नोटिस जारी की है।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीतापुर की ग्राम पंचायत बिसेंडी के प्रधान अबू शहमा को गुण्डा ऐक्ट के तहत पाबंद करने व जिला बदर किए जाने के आदेशों पर 18 फरवरी तक के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने मामले में वहां के भाजापा सांसद राजेश वर्मा को नोटिस जारी की है। सांसद ने सीतापुर के एडीएम व थानेदार को पत्र लिखकर प्रधान को जिला बदर करने समेत गुण्डा ऐक्ट के तहत पाबंद करने की कार्यवाही करने को कहा था।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने यह अंतरिम आदेश अबू शहमा की याचिका पर दिया। याची ने गुण्डा ऐक्ट के तहत की गई इस कार्यवाही सम्बंधी आदेशों को चुनौती दी है। याची के अधिवक्ता दिवाकर नाथ तिवारी का कहना था कि प्रधानी की रंजिश की वजह से सांसद के कहने पर याची के खिलाफ एडीएम ने गुण्डा ऐक्ट के तहत नोटिस जारी कर 15 अक्टूबर 2020 को प्रश्नगत आदेश पारित किया, जिसकी मण्डलायुक्त ने भी 16 दिसंबर को पुष्टि कर दिया।
वकील का कहना था कि सांसद के पत्र पर की गई यह कार्यवाही कानून की मंशा के खिलाफ थी, जो रद्द किए जाने लायक है। कहा कि याची ग्राम प्रधान है लिहाजा उसे समाज के प्रति खतरनाक व्यक्ति होना नहीं कहा जा सकता है। उधर, याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी कि याची एक आदतन अपराधी है। जिसके खिलाफ दर्ज केसों पर गौर करके एडीएम ने उक्त आदेश दिया जिसे मण्डलायुक्त ने भी पुष्ट किया। ऐसे में यह आदेश दखल दिए जाने लायक नहीं हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को नियत कर तब तक उक्त दोनों प्रश्नगत आदेशों पर रोक लगा दी है। साथ ही याचिका में पक्षकार बनाए गए सांसद को नोटिस जारी की है।