लद्दाख के गलवान घाटी में हाल में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद देश में चीन से आयातित वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है। ऐसे समय में चीन से व्यापारिक रिश्ते को लेकर भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे समय में हमारे लिए यह जानना अहम है कि चीन से अपना देश किन सामानों का आयात करता है और उसे किन वस्तुओं का निर्यात करता है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 14 फीसद के आसपास बैठती है। चीन से भारत मुख्य रूप से मोबाइल फोन, टेलीकॉम, पावर, प्लास्टिक के खिलौने और फार्मा इन्ग्रेडिएंट्स का आयात करता है।
चीन से आयात में कमी आने की वजह से वित्त वर्ष 2019-20 में भारत का व्यापार घाटा कम होकर 48.66 अरब डॉलर पर रह गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में चीन को भारत से 16.6 अरब डॉलर के वस्तुओं का निर्यात किया गया था। वहीं, इसी अवधि में चीन से आयातित वस्तुओं का मूल्य 65.26 अरब डॉलर रहा। भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा 2018-19 में 53.56 अरब डॉलर और 2017-18 में 63 अरब डॉलर था।
चीन से भारत मुख्य रूप से इलेक्ट्रानिक उपकरण, घड़ियों, खिलौने, स्पोर्ट्स आइटम, फर्नीचर, म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट्स, गद्दों, बिजली के सामान, फर्नीचर, फर्टलाइजर, लोहा और स्टील के सामान, धातुओं और खनिज तेल का आयात करता है।
सी बीच आपको बताते चलें कि वर्ष 2005-06 से लेकर वर्ष 2013-14 के दौरान चीन से होने वाले आयात में पांच गुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं चीन को होने वाले निर्यात में इन 8 सालों में सिर्फ 22 फीसद का इजाफा हो सका। 2005-06 का 10.8 अरब डॉलर का आयात 2013-14 में 51 अरब डॉलर का हो गया। लेकिन इस अवधि में निर्यात 6.7 अरब डॉलर से बढ़कर सिर्फ 11.9 अरब डॉलर तक पहुंच सका।
यहीं वजह है कि समय-समय पर भारत व्यापार घाटे में बढ़ोत्तरी का सवाला उठाता रहता है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को प्रमोट करने के लिए हमारे देश ने कई तरह के कदम उठाए हैं। इनमें टेक्निकल रेगुलेशन तय करना और कई तरह के प्रोडक्ट्स की क्वालिटी का स्टैंडर्ड सेट करना प्रमुख है। सरकार ने चीन से आयातित कई तरह की वस्तुओं पर एंटी-डंपिंग शुल्क भी लगाया है।