झांसी. भूख की विभीषिका से जंग लड़ते हुए 1 लाख से ज्यादा मजदूर झांसी के 1065 गांवों के लिए पैदल ही रवाना हो गए हैं। जिले की सीमाएं सील होने के कारण कोई खेतों के रास्ते तो कोई रेल की पटरियों से होते ही अपने गांवों के लिए चल दिया है। यह वे मजदूर हैं जो देश के तमाम महानगरों में अपनी राेजीरोटी के लिए संघर्ष करते हैं।

मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश बॉर्डर सील होने के बाद भी मंगलवार को झांसी में लॉकडाउन फेल नजर आया। कोरोना का संक्रमण कम्युनिटी लेवल पर न पहुंचे, इसके लिए लॉकडाउन लागू कराने की जिम्मेदारी डीएम-एसपी पर दी गई है, लेकिन झांसी में प्रशासन लॉकडाउन लागू कराने में फेल नजर आया। डीएम आंद्रे वामसी ने कहा- बॉर्डर सील पूरी तरह से सील है। आवाजाही रोकने का भी दावा किया गया। कहा- सिर्फ इमरजेंसी वाहनों को अंदर आने की इजाजत है। लेकिन, जनपद के अंदर से लाखों की संख्या में मजदूर गुजर गए।
यूपी और एमपी बॉर्डर पर जिला प्रशासन ने मजदूरों को ट्रकों में भर दिया और कहा कि इन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचा दिया जाए। ट्रक वाले पुलिस के डर से मजदूरों को बैठा तो रहे थे, लेकिन वहां से कुछ ही दूरी पर उतार कर चले जाते थे। ये सिलसिला पूरे दिन और रात में भी चलता है। एमपी बॉर्डर से लेकर शहर की सीमा तक पैदल चलने वाले मजदूरों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई थी। चंडीगढ़, गुड़गांव, हरियाणा, नोएडा और दिल्ली से आने वाले इन मजदूरों की महिलाएं सिर पर सामान की बोरी और गोद में मासूम बच्चों को लिए नजर आ रही थीं। पिता भी भारी सामानों का बोझ लादे हुए नजर आ रहे थे। कोई बच्चा अपने दादा की पीठ में चिपका था तो कोई अपनी दादी से पानी मांग रहा था। जब ये मजदूर चलते चलते थक जाते थे तो तेज धूप में कहीं छाया का सहारा लेकर थोड़ी देर आराम कर लेते थे।
पांच तहसील क्षेत्रों में हैं 1065 गांव
तहसील | गांव |
गरौठा | 152 |
झांसी | 142 |
मऊरानीपुर | 403 |
मोंठ | 218 |
टहरौली | 150 |