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15 घंटे पहले
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सोमवार, 14 मार्च को फाल्गुन शुक्ल एकादशी है। सोमवार को मीन संक्रांति है और खरमास शुरू होगा। इन कारणों से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। एकादशी, सोमवार और मीन संक्रांति के योग में विष्णु जी, शिव जी और सूर्यदेव की पूजा जरूर करें। पूजा में सबसे पहले प्रथम पूज्य गणेश का पूजन जरूर करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी और आमलकी एकादशी कहते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर विष्णु जी और लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज के साथ ही आंवले का दान भी करें। जो लोग इस दिन व्रत करते हैं उन्हें आंवले का रस पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं और घर के मंदिर में विष्णु जी के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें। पूजा करें और दिनभर निराहार रहें। दूध और फलों का सेवन किया जा सकता है। शाम को सूर्यास्त के बाद विष्णु पूजा करें। तुलसी के पास दीपक जलाएं। अगले दिन यानी मंगलवार को सुबह जल्दी उठें, स्नान के बाद पूजा करें और जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। भोजन कराएं। इसके बाद खुद भोजन ग्रहण करें।
एकादशी और सोमवार के योग में शिव जी का भी विशेष पूजन करें। तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। चांदी के लोटे से शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। फिर से शुद्ध जल चढ़ाएं। चंदन से तिलक करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। हार-फूल, जनेऊ अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें।
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