मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
– फोटो : amar ujala
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प्रदेश में राज्य जैव ऊर्जा नीति एवं जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम-2018 में लागू किया गया था। इस बीच कृषि अपशिष्टों को खेतों में जलाने से पर्यावरणीय संकट के साथ भूमि की उत्पादकता में कमी की समस्या सामने आई। इसके समाधान के लिए कृषि अपशिष्ट आधारित जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने की नई नीति की पहल है।
इसके अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट, कृषि उपज मंडियों के अपशिष्ट, चीनी मिलों के अपशिष्ट व पशुधन से जैव ऊर्जा उत्पन्न करने के विकल्प का उपयोग होगा। नीति में पैडी स्ट्रा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना, कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी), बायो कोल, बायो एथनॉल व बायो डीजल के उत्पादन व उपयोग की रणनीति शामिल है। नीति में कई तरह की छूट व प्रोत्साहन का प्रस्ताव है।
प्रदेश सरकार बायोमास संग्रह व भंडारण के लिए उपयोगी कृषि उपकरणों पर केंद्र से मिलने वाली सब्सिडी में टॉप-अप करेगी। यह टॉप-अप सब्सिडी इस तरह होगी कि लाभार्थी पर उपकरणों की लागत का अधिकतम 20 प्रतिशत ही भार आए। नीति के अंतर्गत प्रथम चरण में 100 मेगावाट क्षमता के पैडी स्ट्रा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना की योजना है।
– 10 किलोमीटर प्रति संयंत्र की सीमा तक ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण का खर्च प्रदेश सरकार वहन करेगी। 15 करोड़ एकमुश्त खर्च होगा।
– संयंत्रों के कैचमेंट में कृषि अपशिष्ट के संग्रह व भंडारण में प्रयोग होने वाले कृषि उपकरणों (बेलर, ट्रैक्टर) पर अतिरिक्त सब्सिडी। 50.31 करोड़ एकमुश्त खर्च का अनुमान।
– संयंत्रों के लिए प्रयोग किए गए पानी पर लागू जल प्रभार में 50 प्रतिशत की छूट। 40 लाख रुपये वार्षिक खर्च।
सीबीजी, बायो कोल, बायो एथनॉल व बायो डीजल उत्पादन पर ये लाभ प्रस्तावित
– सीबीजी के निर्धारित दायरे में कृषि अपशिष्ट के संग्रह व भंडारण में प्रयोग होने वाले बेलर, ट्रैक्टर व रेकर आदि कृषि उपकरणों पर अतिरिक्त अनुदान। 50.31 करोड़ एकमुश्त खर्च।
– कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्रों की स्थापना (शुरू होने पर) पर दिए जाने वाले पूंजीगत अनुदान पर 125 करोड़, बायोकोल प्लांट्स पर 15 करोड़ व बायो एथनॉल व बायो डीजल प्लांट्स पर 150 करोड़ रुपये पांच वर्ष में खर्च होने का अनुमान।
– राज्य विद्युत उत्पादन निगम के चालू विद्युत संयंत्रों में बायोकोल का भी फ्यूल के रूप में उपयोग।
– सतत योजना में जिन उद्यमियों को लेटर ऑफ इंटेंट (सहमति पत्र) जारी हैं, उन्हें कच्चे माल की उपलब्धता के लिए क्षेत्र का निर्धारण, ताकि कच्चे माल की कमी न हो।
– वेस्ट टू एनर्जी, बायोडीजल, बायो एथनाल इकाइयों को केंद्र से मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त राज्य से अतिरिक्त सब्सिडी।
– जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना तथा बायोमास संग्रह के लिए राजकीय, ग्राम पंचायत भूमि लीज पर ली जा सकेगी। निजी काश्तकारों से भी 30 वर्ष तक की लीज पर भूमि लेने का विकल्प।
– एफपीओ, ग्रामीण उद्यमियों तथा केंद्र की सतत योजना में चयनित उद्यमियों के साथ बायोमास आपूर्ति अनुबंध।
– सीबीजी के सह उत्पाद (बायोमैन्यूर) को कृषि विभाग की लाइसेंस वाली खाद दुकानों पर बेचा जा सकेगा।
– इकाइयों को वाणिज्यिक उत्पादन से 10 वर्ष तक विद्युत कर में शत-प्रतिशत छूट का प्रस्ताव।
प्रदेश में राज्य जैव ऊर्जा नीति एवं जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम-2018 में लागू किया गया था। इस बीच कृषि अपशिष्टों को खेतों में जलाने से पर्यावरणीय संकट के साथ भूमि की उत्पादकता में कमी की समस्या सामने आई। इसके समाधान के लिए कृषि अपशिष्ट आधारित जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने की नई नीति की पहल है।
इसके अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट, कृषि उपज मंडियों के अपशिष्ट, चीनी मिलों के अपशिष्ट व पशुधन से जैव ऊर्जा उत्पन्न करने के विकल्प का उपयोग होगा। नीति में पैडी स्ट्रा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना, कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी), बायो कोल, बायो एथनॉल व बायो डीजल के उत्पादन व उपयोग की रणनीति शामिल है। नीति में कई तरह की छूट व प्रोत्साहन का प्रस्ताव है।
प्रदेश सरकार बायोमास संग्रह व भंडारण के लिए उपयोगी कृषि उपकरणों पर केंद्र से मिलने वाली सब्सिडी में टॉप-अप करेगी। यह टॉप-अप सब्सिडी इस तरह होगी कि लाभार्थी पर उपकरणों की लागत का अधिकतम 20 प्रतिशत ही भार आए। नीति के अंतर्गत प्रथम चरण में 100 मेगावाट क्षमता के पैडी स्ट्रा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना की योजना है।
100 मेगावाट पैडी स्ट्रा आधारित परियोजनाओं पर प्रस्तावित लाभ
– 10 किलोमीटर प्रति संयंत्र की सीमा तक ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण का खर्च प्रदेश सरकार वहन करेगी। 15 करोड़ एकमुश्त खर्च होगा।
– संयंत्रों के कैचमेंट में कृषि अपशिष्ट के संग्रह व भंडारण में प्रयोग होने वाले कृषि उपकरणों (बेलर, ट्रैक्टर) पर अतिरिक्त सब्सिडी। 50.31 करोड़ एकमुश्त खर्च का अनुमान।
– संयंत्रों के लिए प्रयोग किए गए पानी पर लागू जल प्रभार में 50 प्रतिशत की छूट। 40 लाख रुपये वार्षिक खर्च।
सीबीजी, बायो कोल, बायो एथनॉल व बायो डीजल उत्पादन पर ये लाभ प्रस्तावित
– सीबीजी के निर्धारित दायरे में कृषि अपशिष्ट के संग्रह व भंडारण में प्रयोग होने वाले बेलर, ट्रैक्टर व रेकर आदि कृषि उपकरणों पर अतिरिक्त अनुदान। 50.31 करोड़ एकमुश्त खर्च।
– कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्रों की स्थापना (शुरू होने पर) पर दिए जाने वाले पूंजीगत अनुदान पर 125 करोड़, बायोकोल प्लांट्स पर 15 करोड़ व बायो एथनॉल व बायो डीजल प्लांट्स पर 150 करोड़ रुपये पांच वर्ष में खर्च होने का अनुमान।
नीति के मुख्य प्रावधान
– राज्य विद्युत उत्पादन निगम के चालू विद्युत संयंत्रों में बायोकोल का भी फ्यूल के रूप में उपयोग।
– सतत योजना में जिन उद्यमियों को लेटर ऑफ इंटेंट (सहमति पत्र) जारी हैं, उन्हें कच्चे माल की उपलब्धता के लिए क्षेत्र का निर्धारण, ताकि कच्चे माल की कमी न हो।
– वेस्ट टू एनर्जी, बायोडीजल, बायो एथनाल इकाइयों को केंद्र से मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त राज्य से अतिरिक्त सब्सिडी।
– जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना तथा बायोमास संग्रह के लिए राजकीय, ग्राम पंचायत भूमि लीज पर ली जा सकेगी। निजी काश्तकारों से भी 30 वर्ष तक की लीज पर भूमि लेने का विकल्प।
– एफपीओ, ग्रामीण उद्यमियों तथा केंद्र की सतत योजना में चयनित उद्यमियों के साथ बायोमास आपूर्ति अनुबंध।
– सीबीजी के सह उत्पाद (बायोमैन्यूर) को कृषि विभाग की लाइसेंस वाली खाद दुकानों पर बेचा जा सकेगा।
– इकाइयों को वाणिज्यिक उत्पादन से 10 वर्ष तक विद्युत कर में शत-प्रतिशत छूट का प्रस्ताव।