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नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा और उत्तर प्रदेश नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश का कहना है कि किसी भी विभाग में मृतक आश्रितों को कार्यदायी एजेंसी के जरिये रखे जाने का नियम नहीं है। नगर निगम में भी अब तक कभी ऐसा नहीं रहा। निगम पहली बार इस तरह की कर्मचारी विरोधी नीति लागू कर रहा है।
सरकार का भी ऐसा कोई आदेश नहीं है। इस फैसले का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। महापौर को इस संबंध में ज्ञापन दिया गया। चार फरवरी को एक बार फिर नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
उसके बाद भी प्रशासन नहीं माना तो 11 से 17 फरवरी तक सभी जोनों में जनजागरण किया जाएगा और उसके बाद 18 फरवरी को कार्यबंदी कर मुख्यालय पर धरना देंगे।
कर्मचारियों का कहना है कि इस तरह के फैसले उन लोगों के साथ विश्वासघात है जिन लोगों ने लंबे समय तक निगम में सेवा दी और असमय उनकी मृत्यु हो गई। यह निर्णय पूरी तरह से गलत है। नगर निगम कर्मचारी संघ इसका विरोध करेगा। सरकार की तरफ से भी ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है इसलिए इस आदेश को नहीं माना जा सकता है।
फैसले के विरोध में संघ के अध्यक्ष ने मंगलवार को ही लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया को ज्ञापन सौंपा और फैसले का हर स्तर पर विरोध करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह निर्णय कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है। हम सभी जोनों में जनजागरण करेंगे और फिर कार्यबंदी कर मुख्यालयों पर धरना देंगे। इस फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
नगर निगम में मृतक आश्रितों को अब पक्की नौकरी नहीं मिलेगी। उन्हें अब कार्यदायी संस्था के जरिए ठेके पर तैनात किया जाएगा। इस फैसले से कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश है। 24 से अधिक मृतक आश्रित पिछले एक साल से नगर निगम में नौकरी के इंतजार में हैं।
नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा और उत्तर प्रदेश नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश का कहना है कि किसी भी विभाग में मृतक आश्रितों को कार्यदायी एजेंसी के जरिये रखे जाने का नियम नहीं है। नगर निगम में भी अब तक कभी ऐसा नहीं रहा। निगम पहली बार इस तरह की कर्मचारी विरोधी नीति लागू कर रहा है।
सरकार का भी ऐसा कोई आदेश नहीं है। इस फैसले का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। महापौर को इस संबंध में ज्ञापन दिया गया। चार फरवरी को एक बार फिर नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
उसके बाद भी प्रशासन नहीं माना तो 11 से 17 फरवरी तक सभी जोनों में जनजागरण किया जाएगा और उसके बाद 18 फरवरी को कार्यबंदी कर मुख्यालय पर धरना देंगे।
कर्मचारियों का कहना है कि इस तरह के फैसले उन लोगों के साथ विश्वासघात है जिन लोगों ने लंबे समय तक निगम में सेवा दी और असमय उनकी मृत्यु हो गई। यह निर्णय पूरी तरह से गलत है। नगर निगम कर्मचारी संघ इसका विरोध करेगा। सरकार की तरफ से भी ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है इसलिए इस आदेश को नहीं माना जा सकता है।
फैसले के विरोध में संघ के अध्यक्ष ने मंगलवार को ही लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया को ज्ञापन सौंपा और फैसले का हर स्तर पर विरोध करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह निर्णय कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है। हम सभी जोनों में जनजागरण करेंगे और फिर कार्यबंदी कर मुख्यालयों पर धरना देंगे। इस फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता।