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- Rang Panchami Is Celebrated Again After Four Days Of Holi, The Festival Of Colors, This Festival Is Associated With The Divine Element.
2 घंटे पहले
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होली के बाद चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी पर्व मनाते हैं। ये देशभर में आज मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन अबीर-गुलाल, हल्दी और चंदन के साथ ही फूलों से बने रंग आसमान में उड़ाने से राजसिक और तामसिक प्रभाव कम होकर उत्सव का सात्विक स्वरूप निखरता है। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं।
दैवीय तत्व से जुड़ा त्योहार
ब्रह्मांड में मौजूद गणपति, श्रीराम, हनुमान, शिव, श्रीदुर्गा, दत्त भगवान और कृष्ण की शक्तियां सात रंगों से जुड़ी हैं। इसी तरह शरीर के सात चक्र सात रंगों और सात देवताओं से जुड़े हैं। रंग पंचमी मनाने का अर्थ है, रंगों से दैवीय शक्ति जागृत करना। इस तरह सभी देवताओं के तत्व शरीर में होने से आध्यात्मिक नजरिये से साधना पूरी मानी जाती है। इन रंगों के जरीये देव तत्व को महसूस करना ही रंग पंचमी पर्व का हासिल है। इसके लिए रंगों का इस्तेमाल दो तरह से करते हैं। इनमें पहला है, हवा में रंग उड़ाना एवं दूसरा, पानी से एक-दूसरे पर रंग डालना।
हवा में रंग उड़ाने का परिणाम
पंचमी तिथि पर रंगों के उत्सव से दैवीय शक्ति का असर ज्यादा होता है जिससे नकारात्मक ताकतें कम हो जाती हैं। इसके चलते हवा के साथ आनंद भी धरती की ओर बहता है। रंग पंचमी पर उड़ाए गए इंद्रीय रंगों से इकट्ठा हुए शक्ति के कण अनिष्ट शक्ति से लड़ते हैं। जिस तरह रंग पंचमी के रंग हवा में उड़कर धरती को दैवीय शक्तियों से पूरा करते हैं, उसी तरह मनुष्य का आभा मंडल भी इन रंगों के जरीये शुद्ध होता है।
रंग डालना यानी ईश्वरीय तत्व की पूजा
रंग पंचमी पर एक-दूसरे को स्पर्श कर रंग लगाकर नहीं बल्कि वायुमंडल में खुशी से रंगों को उड़ाकर ये पर्व मनाना चाहिए। ऐसा करके रंगों के माध्यम से देवताओं का आव्हान किया जाता है। वायुमंडल में रंग उड़ाना यानी ब्रह्मांड में मौजूद देवता तत्व की पूजा करना है। वहीं, पानी में रंग मिलाकर पिचकारी की मदद से एक-दूसरे पर डालना, जीवों में मौजूद ईश्वरीय तत्व की पूजा करना है।
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