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परिषद के जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी को पूरा हो रहा है, उनमें सभापति रमेश यादव भी शामिल हैं। वे सपा प्रत्याशी के रूप में एमएलसी मनोनीत हुए थे। सपा सरकार में उन्हें परिषद का सभापति चुना गया था। उनका सभापति पद 30 जनवरी को रिक्त हो जाएगा। विधान परिषद में उपसभापति का पद पहले से रिक्त है।
सांविधानिक प्रावधान है कि जब-जब सभापति का पद रिक्त होगा, तब-तब परिषद किसी अन्य सदस्य को यथा स्थिति सभापति चुनेगी। यदि सभापति व उपसभापति का पद रिक्त है तो राज्यपाल सभापति के कर्तव्य पालन के लिए किसी सदस्य को नियुक्त कर सकते हैं। उसे प्रोटेम सभापति कहा जाता है। परिषद में अब तक नौ बार प्रोटेम सभापति नियुक्त किए जा चुके हैं।
30 जनवरी के बाद उच्च सदन में सपा के 51 सदस्य रह जाएंगे। तब भी परिषद में बहुमत सपा का ही रहेगा। ऐसे में सपा अहमद हसन के लिए सभापति पद की दावेदारी करेगी। राज्यपाल ने वरिष्ठतम सदस्य के नाते अहमद हसन को प्रोटेम सभापति मनोनीत नहीं किया तो सपा नवनियुक्त प्रोटेम स्पीकर के खिलाफ संकल्प ला सकती है।
हालांकि संविधान में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के लिए वरिष्ठतम सदस्य की बाध्यता नहीं है। यह केवल परंपरा है। सपा ने परंपरा को देखते हुए ही अहमद हसन को उम्रदराज होने के बावजूद पांचवीं बार परिषद भेजने का फैसला किया है।
सपा उम्मीदवारों में वर्तमान सभापित रमेश यादव का नाम शामिल नहीं है। ऐसे में अब ज्यादा संभावना मनोनयन से ही सदन को नया प्रोटेम या कार्यकारी सभापति मिलने की है। नए सभापति को लेकर कई नाम चर्चा में हैं। हालांकि नामों की अभी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है।
सांविधानिक व्यवस्था और परंपरा के अनुसार, सभापति का आसन एक दिन भी रिक्त नहीं रहता है। परिषद में दलीय सदस्यों का आंकड़ा देखते हुए भाजपा फिलहाल सभापति के चुनाव से बचना चाहेगी। कारण, मतदान की स्थिति में भाजपा के लिए अपना सभापति निर्वाचित कराना आसान नहीं होगा। ऐसे में सभापति के आसन के लिए उसके सामने मनोनयन का रास्ता है। भाजपा के इसी रास्ते पर आगे बढ़ने की संभावना है।
हालांकि राज्यपाल को भेजे जाने वाले पांच सदस्यीय पैनल में विपक्ष के भी वरिष्ठ सदस्यों के नाम जाएंगे, लेकिन व्यावहारिक तथ्य और राजनीतिक समीकरण देखते हुए सत्तारूढ़ दल की पसंद के ही व्यक्ति का ही प्रोटेम सभापति बनने की संभावना है। सत्ता पक्ष के अलावा सदन के वरिष्ठतम निर्दलीय समूह के राजबहादुर सिंह चंदेल के अलावा कुछ अन्य नाम भी चर्चा में है। चंदेल भी पांचवीं बार एमएलसी चुने गए हैं।
दल– सदस्य
सपा– 55
भाजपा– 25
बसपा– 8
कांग्रेस– 2
अपना दल (एस) — 1
शिक्षक दल– 1
निर्दलीय समूह– 2
निर्दलीय– 3
परिषद के जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी को पूरा हो रहा है, उनमें सभापति रमेश यादव भी शामिल हैं। वे सपा प्रत्याशी के रूप में एमएलसी मनोनीत हुए थे। सपा सरकार में उन्हें परिषद का सभापति चुना गया था। उनका सभापति पद 30 जनवरी को रिक्त हो जाएगा। विधान परिषद में उपसभापति का पद पहले से रिक्त है।
सांविधानिक प्रावधान है कि जब-जब सभापति का पद रिक्त होगा, तब-तब परिषद किसी अन्य सदस्य को यथा स्थिति सभापति चुनेगी। यदि सभापति व उपसभापति का पद रिक्त है तो राज्यपाल सभापति के कर्तव्य पालन के लिए किसी सदस्य को नियुक्त कर सकते हैं। उसे प्रोटेम सभापति कहा जाता है। परिषद में अब तक नौ बार प्रोटेम सभापति नियुक्त किए जा चुके हैं।
30 जनवरी के बाद उच्च सदन में सपा के 51 सदस्य रह जाएंगे
30 जनवरी के बाद उच्च सदन में सपा के 51 सदस्य रह जाएंगे। तब भी परिषद में बहुमत सपा का ही रहेगा। ऐसे में सपा अहमद हसन के लिए सभापति पद की दावेदारी करेगी। राज्यपाल ने वरिष्ठतम सदस्य के नाते अहमद हसन को प्रोटेम सभापति मनोनीत नहीं किया तो सपा नवनियुक्त प्रोटेम स्पीकर के खिलाफ संकल्प ला सकती है।
हालांकि संविधान में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के लिए वरिष्ठतम सदस्य की बाध्यता नहीं है। यह केवल परंपरा है। सपा ने परंपरा को देखते हुए ही अहमद हसन को उम्रदराज होने के बावजूद पांचवीं बार परिषद भेजने का फैसला किया है।
भाजपा चाहेगी बहुमत होने तक न हो सभापति का चुनाव
सपा उम्मीदवारों में वर्तमान सभापित रमेश यादव का नाम शामिल नहीं है। ऐसे में अब ज्यादा संभावना मनोनयन से ही सदन को नया प्रोटेम या कार्यकारी सभापति मिलने की है। नए सभापति को लेकर कई नाम चर्चा में हैं। हालांकि नामों की अभी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है।
सांविधानिक व्यवस्था और परंपरा के अनुसार, सभापति का आसन एक दिन भी रिक्त नहीं रहता है। परिषद में दलीय सदस्यों का आंकड़ा देखते हुए भाजपा फिलहाल सभापति के चुनाव से बचना चाहेगी। कारण, मतदान की स्थिति में भाजपा के लिए अपना सभापति निर्वाचित कराना आसान नहीं होगा। ऐसे में सभापति के आसन के लिए उसके सामने मनोनयन का रास्ता है। भाजपा के इसी रास्ते पर आगे बढ़ने की संभावना है।
कौन होगा प्रोटेम सभापति
हालांकि राज्यपाल को भेजे जाने वाले पांच सदस्यीय पैनल में विपक्ष के भी वरिष्ठ सदस्यों के नाम जाएंगे, लेकिन व्यावहारिक तथ्य और राजनीतिक समीकरण देखते हुए सत्तारूढ़ दल की पसंद के ही व्यक्ति का ही प्रोटेम सभापति बनने की संभावना है। सत्ता पक्ष के अलावा सदन के वरिष्ठतम निर्दलीय समूह के राजबहादुर सिंह चंदेल के अलावा कुछ अन्य नाम भी चर्चा में है। चंदेल भी पांचवीं बार एमएलसी चुने गए हैं।
विधान परिषद की मौजूदा स्थिति
दल– सदस्य
सपा– 55
भाजपा– 25
बसपा– 8
कांग्रेस– 2
अपना दल (एस) — 1
शिक्षक दल– 1
निर्दलीय समूह– 2
निर्दलीय– 3