नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कंटेनमेंट ज़ोन में 30 जून तक लॉकडाउन (Lockdown 5.0) को बढ़ा दिया है. पांचवें चरण का लॉकडाउन 1 जून से शुरू होगा, लेकिन 8 जून से कई तरह के छूट का भी प्रावधान है. केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) लॉकडाउन 5.0 के लिये नई गाइडलाइंस जारी कर दी है. इससे ठीक पहले SBI की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को लॉकडाउन से निकलने के लिए बुद्दिमता से रणनीति तैयार करनी होगी. शुक्रवार को आर्थिक आंकड़े भी जारी किये गये थे, जिससे पता चलता है कि वित्त वर्ष में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 4.2 फीसदी के साथ 11 साल के निचले स्तर पर फिसल चुकी है. जनवरी-मार्च तिमाही में यह 3.1 फीसदी जोकि पिछले 40 तिमाहियों में सबसे न्यूनतम है.
लॉकडाउन बढ़ने से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया, ‘हमारा मानना है कि अब हमें लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए इंटेलीजेंट स्ट्रैटजी अपनानी होगा. लॉकडाउन बढ़ने से अब बहस जिंदगी और जीविका से आगे बढ़कर और जिंदगी और जिंदगी पर बढ़ गई है. लॉकडाउन के बढ़ने से आर्थिक ग्रोथ पर दुष्प्रभाव पड़ेगा.’
मंदी से बाहर निकलने में समय लगता है इस रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले अनुभव के आधार पर देखें तो आमतौर पर मंदी से बाहर निकलने समय में ग्रोथ बेहद सुस्त होती है. अर्थव्यवस्था के पीक ग्रोथ पर पहुंचने के लिए 5 से 10 साल तक लग जाते हैं.
40 तिमाहियों के न्यूनतम स्तर पर मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ
शुक्रवार को जीडीपी के आंकड़ों पर इस रिपोर्ट में कहा गया कि लॉकडाउन की वजह आर्थिक गतिविधियों ठप हैं जिसकी वजह से जीडीपी ग्रोथ बीते 40 तिमाहियों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. वित्त वर्ष 2019-20 की चौथा यानी जनवरी-मार्च तिमाही में यह 3.1 फीसदी रही है.
कृषि के अलावा अन्य सभी सेक्टर्स पर असर
इसके साथ ही पूरे वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 4.2 फीसदी है जोकि पिछले 11 साल का न्यूनतम स्तर है. इसके पहले वित्त वर्ष यानी 2018-19 में यह 6.1 फीसदी था. सेक्टर्स के आधार पर देखें तो कृषि क्षेत्र के अलावा ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जिसपर कोरोना का असर नहीं पड़ा है. मार्च 2020 तक कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों 4 फीसदी की ग्रोथ. इसके पिछले साल यह 2.4 फीसदी थी.