आपने राह चलते भिखारियों को तो जरूर देखा होगा। बात शुरू करते ही रोते हुए…। ऐसी बातें कहना जो आपके दिल को छू जाए। ऐसे कपड़े पहनना, ऐसे चलना कि कहीं से आपको उन पर कतई संदेह न हो। आपने उनकी बातें सुन पैसे या खाने को भी दिया होगा। यादों को खंगालते ही ऐसे न जाने कितने चित्र आपके जेहन में उभर आएंगे। …पूरी फिल्म जैसी। अब अगर यह कहें कि जो कुछ आपके जेहन में उभरा वह आपकी नजरों का धोखा था….?
जी हां, भिखारियों की दुनिया पूरी तरह से बदल गई है। इसके लिए उन्हें कॉरपोरेट स्टाइल में प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण में पर्सनेलिटी डवलपमेंट जैसी पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है। मसलन-क्या पहनें, कैसे बोलें, कैसे चलें…। चौंक गए न? चलिए फिर यह भी जान लीजिए भिखारियों की हर बस्ती में ऐसी पर्सनेलिटी ग्रूमिंग की क्लास लगती है। इस क्लास से टिप्स सीखने के बाद ही बैच बाजार में आता है।