नई दिल्ली. भारत (India) और चीन (China) के बीच पिछले कुछ दिनों से पूर्वी लद्दाख पर सड़क निर्माण को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. दोनों देशों के बीच युद्ध (War) जैसे हालात पर काबू पाने के लिए शनिवार को एक अहम बैठक होने जा रही है, लेकिन उसके पहले एक बार फिर चीन भारत को डराने की कोशिश में लगा हुआ है. बताया जाता है कि अक्साई चिन के इलाके में चीन ने अपने लड़ाकू विमानों की हलचल बढ़ा दी है. भारतीय सेना (Indian Air Force) भी लगातार चीन की हर गतिविधि पर नजर जमाए हुए है. मामले की गंभीरता को देखते हुए वायुसेना को अलर्ट पर रखा गया है.
खबरों के मुताबिक चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे तनाव के बाद अब अपने फाइटर जेट्स की हलचल बढ़ा दी है. भारतीय वायुसेना चीन की हर हरकत पर नजर जमाए हुए है. बताया जा रहा है कि चीन की वायुसेना ने सीमा पर युद्ध अभ्यास तेज कर दिया है और सीमा पर अपने फाइटर जेट को उड़ा रहा है
बताया जा रहा है कि अभी तक चीन का कोई भी लड़ाकू विमान सीमा पर 10 किलोमीटर के नो फ्लाई जो के दायरे में नहीं आया है. इसके बावजूद भारतीय वायुसेना अलर्ट और चीन के विमान पर नजर बनाए हुए है.
भारत और चीनी सेनाओं के बीच 25 दिन से भी ज्यादा समय से जारी गतिरोध के बीच दोनों देश पूर्वी लद्दाख के विवादित क्षेत्र के पास स्थित अपने सैन्य अड्डों पर भारी उपकरण और तोप व युद्धक वाहनों समेत हथियार प्रणालियों को पहुंचा रहे हैं. दोनों सेनाओं द्वारा क्षेत्र में अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने की यह कवायद ऐसे वक्त हो रही है जब दोनों देशों द्वारा सैन्य व कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है.
एलएसी पर तैनात हुईं तोपें, बढ़ाए गए सैनिक
चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने पीछे के सैन्य अड्डों पर क्रमिक रूप से तोपों, पैदल सेना के युद्धक वाहनों और भारी सैन्य उपकरणों का भंडारण बढ़ा रही है.मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना भी चीनी सेना की बराबरी के लिए इस क्षेत्र में अतिरिक्त जवानों के साथ ही उपकरणों और तोप जैसे हथियारों को वहां पहुंचा रही है. उन्होंने कहा कि जबतक पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी और कई अन्य इलाकों में यथा स्थिति बरकरार नहीं होती तब तक भारत पीछे नहीं हटेगा.
भारतीय वायुसेना के लिए स्थिति ज्यादा बेहतर
बता दें कि लद्दाख में भारतीय वायुसेना काफी बेहतर स्थिति में है. श्रीनगर और चंडीगढ़ एयरबेस से शॉर्ट नोटिस पर वायुसेना के लड़ाकू विमानों में ईंधन और हथियारों की सप्लाई की जा सकती है. वहीं दूसरी तरह चीन के एयर बेस बेहद ऊंचाई पर स्थित हैं, जिससे चीन की वायुसेना को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.