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- The Ashtami Date Will Remain Till 12 O’clock On Saturday, On Durgashtami 9, So You Can Perform Mahapuja Anytime Throughout The Day.
34 मिनट पहले
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नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा का विधान है। इस बार ये 9 अप्रैल, शनिवार को है। ये देवी महागौरी का दिन है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी विशेष दिन होते हैं। इन दिनों में कन्या भोजन और देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा और हवन करवाए जाते हैं। मार्कंडेय पुराण में अष्टमी तिथि को देवी पूजा का महत्व बताया गया है। जिसके मुताबिक अष्टमी पर देवी पूजा करने से हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है और घर में कभी दरिद्रता भी नहीं आती।
कन्या पूजन न कर पाएं तो नहीं लगेगा दोष
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि किसी कारण से इस दिन कन्या पूजन न भी कर पाएं तो बाद में भी किया जा सकता है। इसके लिए अष्टमी पर कन्या पूजन का संकल्प लें। जिसमें इस बात का जिक्र करें कि आने वाली किसी भी अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करेंगे। किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्या का पूजन कर भोजन करवाया जाए तो देवी प्रसन्न होंगी। साथ ही इस अष्टमी पर किसी भी जरूरतमंद को खाना खिलाया जा सकता है।
पूरे दिन अष्टमी तिथि
अष्टमी तिथि 8 अप्रैल की रात करीब 11.10 से शुरू हो जाएगी। जो कि 9 तारीख को पूरे दिन रहेगी। इसलिए शनिवार को किसी भी समय देवी दुर्गा की महापूजा और कन्या भोज करवा सकते हैं। इस दिन महागौरी देवी की पूजा की जाएगी। ये तिथि रात में 1.30 तक रहेगी। इसलिए मध्य रात्रि में की जाने वाली पूजा इस समय से पहले ही करना शुभ रहेगी।
अष्टमी पूजा का महत्व
अष्टमी तिथि पर अनेक प्रकार के मंत्रो और विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस दिन मां दुर्गा से सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति, विजय, आरोग्यता की कामना करनी चाहिए। मां दुर्गा का पूजन अष्टमी व नवमी को करने से कष्ट और हर तरह के दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है।
कन्या और देवी के शस्त्रों की पूजा
अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए। इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए। दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार अष्टमी है जया तिथि
ज्योतिष में अष्टमी तिथि को बलवती और व्याधि नाशक तिथि कहा गया है। इसके देवता शिवजी हैं। इसे जया तिथि भी कहा जाता है। नाम के अनुसार इस तिथि में किए गए कामों में जीत मिलती है। इस तिथि में किए गए काम हमेशा पूरे होते हैं। अष्टमी तिथि में वो काम करने चाहिए जिसमें विजय प्राप्त करनी हो। शनिवार को अष्टमी तिथि का होना शुभ माना जाता है। वहीं श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि पर ही हुआ था।
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