मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
– फोटो : amar ujala
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इसके बावजूद बजट में सांस्कृतिक सरोकारों के साथ सलीके से प्रदेश के सर्वसमावेशी और चहुंमुखी विकास को उड़ान देने की कोशिश के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने का इरादा अगली सत्ता की बुनियाद रखने की कवायद बता रहा है। पर, यह कवायद इस सावधानी के साथ हुई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ- सबका विकास और सबका विश्वास’ के संदेश को लेकर कोई सवाल न खड़ा हो।
इसीलिए गुरुकुल की तर्ज पर संस्कृत विद्यालयों का विकास, विद्यार्थियों को निशुल्क भोजन व आवास की घोषणा के साथ ही सरकार ने अल्पसंख्यकों और उनके मदरसों के लिए भी धन आवंटन में खुला दिल दिखाने की कोशिश की है। संकेतों से यह भी बताया गया कि महिलाओं, युवाओं, किसानों, विद्यार्थियों और श्रमिकों के लिए शुरू की जा रही नई और चल रही पुरानी योजनाओं में धन के प्रबंध का लाभ भी तो अल्पसंख्यकों को ही मिलेगा।
सरकार ने लोक कल्याण संकल्प पत्र के बचे कामों को पूरा करने का इरादा जताकर यह बताने की कोशिश की कि भाजपा आगे भी जो वादे करेगी वह पूरे होंगे। इसके साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, स्मार्ट सिटी, प्रवासी मजदूर, कौशल विकास सहित अन्य कई मुद्दों पर अब तक हुए काम के साथ नई व्यवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कोरोना काल को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है।
शायद यही वजह रही कि वित्त मंत्री सुरेश खन्ना नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध आंदोलन के दौरान तोड़फोड़ करने वालों से वसूले गए जुर्माने की धनराशि बताने से नहीं चूके। सांस्कृतिक व धार्मिक एजेंडे के साथ बजट में हर मंडल में राज्य विश्वविद्यालय खोलने, महाविद्यालयों के भवन बनवाने, प्रतियोगी छात्रों को लैपटॉप देने व कौशल विकास जैसी विधाओं में विश्वविद्यालय खोलने जैसे संकल्प लिए।
युवाओं, ‘मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण’ व ‘महिला सामर्थ्य’ जैसी योजनाओं से ‘हर खेत को पानी’ और ‘आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना’ सहित कामों से किसानों और नई बीमा योजना से मजदूरों को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है।
वाराणसी में ‘गोकुल ग्राम’ तथा गोवंश की सुरक्षा व संरक्षण पर संकल्प जताते हुए जिस तरह स्वदेशी व राष्ट्रवाद के साथ सांस्कृतिक सरोकारों को छुआ है वह सरकार के संदेश को बताने के लिए पर्याप्त है। अर्थशास्त्री प्रो. एपी तिवारी कहते भी हैं कि बजट के राजकोषीय घाटे को काफी कम रखकर तथा पुराने कामों के साथ नए कामों के लिए धन का प्रावधान कर सरकार ने बजट को ठोस बनाने का प्रयास किया है। बजट बता रहा है कि योगी सरकार नीतियों व मुद्दों को लेकर पूरी तरह स्पष्ट है और उसे इस बजट पर जनता का पूरा साथ व सहयोग मिलने की उम्मीद है।
इसके बावजूद बजट में सांस्कृतिक सरोकारों के साथ सलीके से प्रदेश के सर्वसमावेशी और चहुंमुखी विकास को उड़ान देने की कोशिश के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने का इरादा अगली सत्ता की बुनियाद रखने की कवायद बता रहा है। पर, यह कवायद इस सावधानी के साथ हुई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ- सबका विकास और सबका विश्वास’ के संदेश को लेकर कोई सवाल न खड़ा हो।
इसीलिए गुरुकुल की तर्ज पर संस्कृत विद्यालयों का विकास, विद्यार्थियों को निशुल्क भोजन व आवास की घोषणा के साथ ही सरकार ने अल्पसंख्यकों और उनके मदरसों के लिए भी धन आवंटन में खुला दिल दिखाने की कोशिश की है। संकेतों से यह भी बताया गया कि महिलाओं, युवाओं, किसानों, विद्यार्थियों और श्रमिकों के लिए शुरू की जा रही नई और चल रही पुरानी योजनाओं में धन के प्रबंध का लाभ भी तो अल्पसंख्यकों को ही मिलेगा।
सरकार ने लोक कल्याण संकल्प पत्र के बचे कामों को पूरा करने का इरादा जताकर यह बताने की कोशिश की कि भाजपा आगे भी जो वादे करेगी वह पूरे होंगे। इसके साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, स्मार्ट सिटी, प्रवासी मजदूर, कौशल विकास सहित अन्य कई मुद्दों पर अब तक हुए काम के साथ नई व्यवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कोरोना काल को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है।
सबको साधने व संतुष्ट करने का प्रयास
शायद यही वजह रही कि वित्त मंत्री सुरेश खन्ना नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध आंदोलन के दौरान तोड़फोड़ करने वालों से वसूले गए जुर्माने की धनराशि बताने से नहीं चूके। सांस्कृतिक व धार्मिक एजेंडे के साथ बजट में हर मंडल में राज्य विश्वविद्यालय खोलने, महाविद्यालयों के भवन बनवाने, प्रतियोगी छात्रों को लैपटॉप देने व कौशल विकास जैसी विधाओं में विश्वविद्यालय खोलने जैसे संकल्प लिए।
युवाओं, ‘मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण’ व ‘महिला सामर्थ्य’ जैसी योजनाओं से ‘हर खेत को पानी’ और ‘आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना’ सहित कामों से किसानों और नई बीमा योजना से मजदूरों को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है।
इस तरह भी साधे समीकरण
वाराणसी में ‘गोकुल ग्राम’ तथा गोवंश की सुरक्षा व संरक्षण पर संकल्प जताते हुए जिस तरह स्वदेशी व राष्ट्रवाद के साथ सांस्कृतिक सरोकारों को छुआ है वह सरकार के संदेश को बताने के लिए पर्याप्त है। अर्थशास्त्री प्रो. एपी तिवारी कहते भी हैं कि बजट के राजकोषीय घाटे को काफी कम रखकर तथा पुराने कामों के साथ नए कामों के लिए धन का प्रावधान कर सरकार ने बजट को ठोस बनाने का प्रयास किया है। बजट बता रहा है कि योगी सरकार नीतियों व मुद्दों को लेकर पूरी तरह स्पष्ट है और उसे इस बजट पर जनता का पूरा साथ व सहयोग मिलने की उम्मीद है।