गैंगस्टर विकाश दुबे की तलाश में लगी पुलिस टीम
कानपुर में सीओ सहित आठ पुलिस कर्मियों की शहादत के बाद मुख्य आरोपी की तलाश तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि कुख्यात विकास दुबे की तलाश के लिए साठ टीमों में 1500 पुलिस कर्मी लगाए गए हैं। क्राइम ब्रांच की 12 टीमें और एसटीएफ की टीमें दबिश दे रही हैं। हर जिले में सर्विलांस सेल लगी है। बिकरू के आसपास दो दर्जन गांवों में पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया। शहर में उसके एक दर्जन ठिकानों पर दबिश दी गई।
शातिर के पास है मुखबिरों की फौज :
शातिर विकास दुबे के पास मुखबिरों की पूरी फौज है। युवाओं की इतनी बड़ी संख्या है कि उससे जुड़ी कोई भी सूचना उस तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता। पुलिस, प्रशासन, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, केडीए हो या अन्य कोई भी सरकारी विभाग, सभी जगह पर उसके लोग मौजूद हैं। वहीं, पुलिस पूरी तरह से सर्विलांस और आधुनिक संसाधनों पर आश्रित है। उसका मुखबिर तंत्र खत्म हो चुका है। विकास दुबे अपने मिलने वालों से ठेकेदारी कराता और उसमें उसका कमीशन फिक्स है। अपराध की दुनिया का नेटवर्क कुख्यात ने अलग से तैयार किया है। इस टीम के युवा उसे शहर से लेकर गांव देहात तक की जानकारियां देते हैं। विकास के जानने वालों ने बताया कि सूचनाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी 600 से ज्यादा युवाओं के पास है।
ढ़हाया गया जरायम के अड्डे का किला:
मोहित अग्रवाल, आईजी रेंज के मुताबिक गांव के लोगों में विकास दुबे को लेकर बहुत आक्रोश था। जब हम लोगों ने पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि विकास दुबे का घर जरायम का अड्डा था। वहां पर अपराधी आते थे। गांव वालों की जमीनों को हड़पकर उसने विशाल कोठी बनाई थी। गांव वाले उसकी इस कोठी को ढहा देना चाहते थे।